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सोने का एक समय तय करें: अपने सोने और उठने का समय तय करें ताकि शरीर को नियमित नींद मिले।
एक्सपोज़र थेरेपी: यदि बुरे सपने किसी दर्दनाक अनुभव से उत्पन्न होते हैं, तो ट्रिगर करने वाली यादों के प्रति धीरे-धीरे खुद को असंवेदनशील बनाने के लिए एक्सपोज़र थेरेपी लेने की सलाह दी जाती है।
डरावने सपने रात के दूसरे पहर यानी सुबह होने से कुछ घंटे पहले आते हैं. ये सपने बहुत वास्तविक लगते हैं और अक्सर किसी खतरे, पीछा करने, चोट लगने या अन्य डरावनी कंडीशंस से जुड़े होते हैं. ऐसे सपनों से नींद टूटने पर दिल की धड़कन तेज हो सकती है, पसीना आ सकता है और व्यक्ति तुरंत डर या बेचैनी महसूस करता है. खास बात यह है कि जागने के बाद भी सपना साफ तरीके से याद रहता है और उसके कारण दोबारा नींद नहीं आती है.
कई बार लोगों को नींद में ऐसा एहसास होता है कि कोई उनका पीछा कर रहा है.
बुरे सपने लंबे और click here आपको दुखी करने वाले हो सकते हैं
ऐसे सपनों से अक्सर नींद टूट जाती है, मन बेचैन हो जाता है और थकावट बनी रहती है। इसलिए मानसिक शांति बहुत जरूरी है।
सपनों को एक्सप्लेन करें: उन अंतर्निहित भावनाओं और स्थितियों को समझने के लिए अपने सपनों का विश्लेषण करें जो उन्हें पैदा कर सकती हैं।
डॉक्टर से सलाह लें: अगर दवाओं के कारण आपको बुरे सपने आ रहे हैं, तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से बात करें। वे आपकी दवा बदल सकते हैं या खुराक को कम कर सकते हैं।
पैरासोम्निया होने पर भी आपको नाइटमेयर आने की परेशानी हो सकती है
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मेडिकेशन पर ध्यान दें: कुछ मामलों में, आपका डॉक्टर अंतर्निहित मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को प्रबंधित करने के लिए दवा लिख सकता है, जो बुरे सपनों में योगदान करती हैं।
नींद न आने से भी ऐसा होता है. अगर अनिद्रा की समस्या है तो ऐसा होगा.